भारत और पाकिस्तान के बीच अभी भी तनाव की स्थिति बनी हुई है. बढ़ते तनाव के बीच शनिवार को सीजफायर की घोषणा की गई, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन किया. अब सभी की नजरें भारत और पाकिस्तान के बीच DGMO स्तर पर होने वाली वार्ता पर हैं. यह 12 मई को निर्धारित है. देश के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिटरी ऑपरेशन्स (DGMO), डायरेक्टर जनरल ऑफ एयर ऑपरेशन्स और डायरेक्टर जनरल ऑफ नेवल ऑपरेशन्स इस वार्ता का महत्वपूर्ण हिस्सा होंगे. आज हम आपको बता रहे हैं कि कौन हैं डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिटरी ऑपरेशन्स (DGMO), डायरेक्टर जनरल ऑफ एयर ऑपरेशन्स और डायरेक्टर जनरल ऑफ नेवल ऑपरेशन्स और इनकी भूमिका क्या होती है?
मिलिटरी ऑपरेशन्स के महानिदेशक (DG of Military Operations)
वर्तमान में, भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिटरी ऑपरेशन्स (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई हैं. उन्होंने यह पद 25 अक्टूबर 2024 को संभाला था. इंडियन मिलिट्री अकैडमी, देहरादून के पूर्व छात्र लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई का सैन्य करियर 35 वर्षों से अधिक का रहा है. उन्हें दिसंबर 1989 में कुमाऊं रेजिमेंट में कमीशन मिला था. अपने कार्यकाल में उन्होंने कई प्रतिष्ठित कमांड, स्टाफ और प्रशिक्षण संबंधी पदों पर सेवाएं दी हैं.
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी अहम भूमिका निभाई है. DGMO का पद संभालने से पहले वे श्रीनगर स्थित चिनार कॉर्प्स (15वीं कोर) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) थे, जहां उन्होंने करीब डेढ़ साल तक सेवा दी।
उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीति तैयार करने और उसके क्रियान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाई है. एक मीडिया ब्रीफिंग में लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि सेना प्रमुख ने पाकिस्तान की किसी भी और हिमाकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना को पूर्ण अधिकार दे दिए हैं.
DGMO की भूमिका:
यह पद भारतीय सेना की रणनीति और सीमा पर संचालन के लिहाज से बेहद अहम होता है. DGMO सैन्य अभियानों की निगरानी करता है, समन्वय (कॉर्डिनेशन) स्थापित करता है और स्ट्रेटजिकल गाइडेंस देता है. युद्ध, आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों और अन्य सैन्य अभियानों से जुड़ी जानकारियां सबसे पहले DGMO को दी जाती हैं ताकि वह प्रभावी रणनीति बना सकें.
एयर ऑपरेशन्स के महानिदेशक (DG of Air Operations)
एयर मार्शल ए.के. भारती भारतीय वायुसेना में डायरेक्टर जनरल ऑफ ऑपरेशन्स के पद पर हैं. एयर मार्शल भारती को जून 1987 में फ्लाइंग ब्रांच में कमीशन मिला था। उन्होंने अक्टूबर 2024 में DG एयर ऑपरेशन्स का कार्यभार संभाला. वे NDA, डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (वेलिंगटन) और नेशनल डिफेंस कॉलेज के पूर्व छात्र हैं.
DG Air Operations का पद संभालने से पहले वे कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं, जिनमें एयर ऑफिसर कमांडिंग एडवांस HQ EAC, एयर स्टाफ ऑपरेशन (आक्रामक) के सहायक प्रमुख, और CAC के वरिष्ठ एयर स्टाफ ऑफिसर शामिल हैं. हाल ही में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर मार्शल भारती ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने दुश्मन के ठिकानों पर अपेक्षित प्रभाव डाला और यह सशस्त्र बलों का काम नहीं है कि वे मृतकों की संख्या गिनें.
DG Air Operations की भूमिका:
यह पद वायुसेना के रणनीतिक और ऑपरेशनल संचालन के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. DG Air Operations, वायुसेना प्रमुख को रिपोर्ट करता है और एयरफोर्स की स्ट्राइक मिशन, एयर डिफेंस, टोही और ट्रांसपोर्ट मिशन जैसी गतिविधियों की योजना और निगरानी करता है. युद्ध, शांति या आपातकालीन स्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा के अनुरूप वायु शक्ति की तैनाती की रणनीति विकसित करना इस पद की प्रमुख जिम्मेदारी होती है.
नवल ऑपरेशन्स के महानिदेशक (DG of Naval Operations)
वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद भारतीय नौसेना में डायरेक्टर जनरल ऑफ नेवल ऑपरेशन्स (DGNO) के रूप में कार्यरत हैं. उन्होंने यह पद 15 जनवरी 2024 को संभाला. वह नवल अकादमी, गोवा के 38वें इंटीग्रेटेड कैडेट कोर्स के पूर्व छात्र हैं और जुलाई 1990 में भारतीय नौसेना में कमीशन हासिल किया था.
प्रमोद एक कैट ‘A’ सी किंग एयर ऑपरेशंस ऑफिसर हैं और संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के विशेषज्ञ माने जाते हैं. उन्होंने DSSC, वेलिंगटन और NWC, गोवा से उच्च स्तरीय सैन्य प्रशिक्षण लिया है. उन्होंने INS अभय, शार्दुल और सतपुड़ा जैसे जहाजों की कमान संभाली है, साथ ही नवल एयर स्टेशन उत्क्रोश (पोर्ट ब्लेयर) के कमांडिंग ऑफिसर भी रहे हैं. वे DSSC वेलिंगटन में निदेशक (डायरेक्टिंग स्टाफ) भी रह चुके हैं. ऑपरेशन सिंदूर पर वाइस एडमिरल प्रमोद ने कहा कि “भारत की प्रतिक्रिया संतुलित रही है और इसका उद्देश्य तनाव को बढ़ाना नहीं है.”
DG Naval Operations की भूमिका:
भारतीय नौसेना में यह पद समुद्री ऑपरेशन्स की योजना, रणनीति और समन्वय के लिए जरूरी होता है. DG Naval Operations आमतौर पर वाइस एडमिरल रैंक का अधिकारी होता है और वह नौसेना प्रमुख को सीधे रिपोर्ट करता है. इस पद का दायित्व युद्ध, शांति या संकट की स्थिति में नौसेना की तैनाती को योजनाबद्ध और प्रभावी बनाना होता है, जिससे समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. यह अधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के अनुरूप नौसैनिक शक्ति के उपयोग की रणनीति विकसित करता है.